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Monday, April 6, 2015

मोहब्बत है शायद तुझे भूल जाना

बदलता है जिस तरह पहलू ज़माना
यूँ ही भूल जाना, यूँ ही याद आना

अजब सोहबतें हैं मोहब्बतज़दों की
न बेगाना कोई, न कोई यगाना
मोहब्बतज़दों = प्रेम के मारे हुए, यगाना = आत्मीय

फुसूँ फूँक रक्खा है ऐसा किसी ने
बदलता चला जा रहा है ज़माना
फुसूँ = जादू

जवानी की रातें, मोहब्बत की बातें
कहानी-कहानी, फ़साना-फ़साना

तुझे याद करता हूँ और सोचता हूँ
मोहब्बत है शायद तुझे भूल जाना

~ फ़िराक़ गोरखपुरी


  Feb 23, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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