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Friday, April 3, 2015

खुशनुमाई देखना ना क़द किसी का



खुशनुमाई देखना ना क़द किसी का देखना
बात पेड़ों की कभी आये तो साया देखना

खूबियाँ पीतल में भी ले आती हैं कारीगरी
जौहरी की आँख से हर एक गहना देखना

झूठ के बाज़ार में ऐसा नजर आता है सच
पत्थरों के बाद जैसे कोई शीशा देखना

जिंदगानी इस तरह है आजकल तेरे बगैर
फासले से जैसे कोई मेला तनहा देखना

देखना आसां है दुनियाँ का तमाशा साहबान
है बहुत मुश्किल मगर अपना तमाशा देखना

~ हस्तीमल हस्ती


  Aug 17, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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