
खुशनुमाई देखना ना क़द किसी का देखना
बात पेड़ों की कभी आये तो साया देखना
खूबियाँ पीतल में भी ले आती हैं कारीगरी
जौहरी की आँख से हर एक गहना देखना
झूठ के बाज़ार में ऐसा नजर आता है सच
पत्थरों के बाद जैसे कोई शीशा देखना
जिंदगानी इस तरह है आजकल तेरे बगैर
फासले से जैसे कोई मेला तनहा देखना
देखना आसां है दुनियाँ का तमाशा साहबान
है बहुत मुश्किल मगर अपना तमाशा देखना
~ हस्तीमल हस्ती
Aug 17, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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