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Monday, April 6, 2015

आंसू, पीडा, कलम, प्रतिष्ठा

आंसू, पीडा, कलम, प्रतिष्ठा ओ' ईमान दुकानों पर
मत पूछो, क्या क्या देखा हमने सामान दुकानों पर

शो केसों में धरे धरे क्यूँ तलवारों में बदल गए
आदि ग्रन्थ, रामायण, गीता और कुरान दुकानों पर

धूप, चांदनी कैद करेंगे अपनी अपनी मुठ्ठी में
लेकर बैठे हैं कुछ पागल ये अभियान दुकानों पर 


~ रामसनेही शर्मा 'यायावर'

  Feb 14, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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