Disable Copy Text

Friday, April 3, 2015

सितारों के आगे जहाँ और भी हैं



सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
*तही=खाली

क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं
*क़नाअत=संतोष; आलम-ए-रंग-ओ-बू=रंगों और ख़ुशबुओं की दुनिया

अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं
*मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ=रोने-धोने की जगहें

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं
*शाहीं=गरुड़; परवाज़=उड़ान भरना

इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं
*रोज़-ओ-शब=सुबह -शाम के चक्कर; ज़मीन-ओ-मकाँ=धरती और मकान

गए दिन के तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं
*अंजुमन=महफ़िल; राज़दाँ=रहस्य जानने वाले

~ मोहम्मद इक़बाल
  Jul 23, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment