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Friday, April 3, 2015

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल




सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल
रंग बन कर बिखर गया कोई

गर्दिश-ए-ख़ूं रगों में तेज़ हुई
दिल को छूकर गुज़र गया कोई

फूल से खिल गये तसव्वुर में
दामन-ए-शौक़ भर गया कोई

~ अली सरदार जाफ़री


  Jul 22, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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