
ऐसी घनी उदासियाँ बहते जिगर के छाले
किस जुर्म की सजा में दिल दर्द के हवाले।
आदमी होना हँसी मजाक नहीं
और कुछ इससे दर्दनाक नहीं।
अभी अभी उसने बतलाया दर्द कई हैं भारी-भारी
रोटी और पेट का रिश्ता दिल का और नजर का रिश्ता।
सहते सहते गम से यारी हो गयी
सारी दुनिया ही हमारी हो गई।
तेरे मैखाने सरेआम से खाली खाली
सुरूर और ही उस कुदरती शराब का है।
दिल दर्द सुना करता दिल दर्द कहा करता
अहसास का समुन्दर चुपचाप बहा करता।
करिश्मा है सबसे अच्छा
आदमी का खिलखिलाना।
यह बहाना वह बहाना
मौत का भी क्या ठिकाना।
रुक गई थी थोड़ा सुस्ताने अभी
फिर चलेगी दर्द की बारात।
~ ऋषिवंश
किस जुर्म की सजा में दिल दर्द के हवाले।
आदमी होना हँसी मजाक नहीं
और कुछ इससे दर्दनाक नहीं।
अभी अभी उसने बतलाया दर्द कई हैं भारी-भारी
रोटी और पेट का रिश्ता दिल का और नजर का रिश्ता।
सहते सहते गम से यारी हो गयी
सारी दुनिया ही हमारी हो गई।
तेरे मैखाने सरेआम से खाली खाली
सुरूर और ही उस कुदरती शराब का है।
दिल दर्द सुना करता दिल दर्द कहा करता
अहसास का समुन्दर चुपचाप बहा करता।
करिश्मा है सबसे अच्छा
आदमी का खिलखिलाना।
यह बहाना वह बहाना
मौत का भी क्या ठिकाना।
रुक गई थी थोड़ा सुस्ताने अभी
फिर चलेगी दर्द की बारात।
~ ऋषिवंश
Submitted by: Ashok Singh
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