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Friday, April 3, 2015

खुदा ने दिल बनाकर क्या अनोखी




खुदा ने दिल बनाकर क्या अनोखी शय बनाई है
ज़रा सा दिल है, इस दिल में मगर सारी खुदाई है

ये दिल अल्लाह का घर है, ये दिल भगवान का घर है
बदी दिल में समां जाये तो दिल शैतान का घर है
इसी दिल में भलाई है. इसी दिल में बुराई है

ये दिल फुल है, चट्टान है, मौज-ए-समुन्दर है
ये नरम पानी है, यही दिल सख्त पत्थर है
छुपा है दर्द, बेदर्दी भी इसी दिल में समाई है

जो चाहे देख लो इसमें ये आईने से सच्चा है
समझदारी में बुढा है, तो भोलेपन में बच्चा है
खिलौना भी ये बन जाता, आदत ऐसी पाई है

बड़ी मुश्किल है, इसका साथ छोड़ा भी नहीं जाये
अगर एक बार टूटे तो ये जोड़ा भी नहीं जाये
गुलो की आंच से शीशे की फितरत जो पाई है

~ ज़फर गोरखपुरी
 

  Aug 26, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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