
जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ
मेरी तरफ़ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ
दामन सनम का हाथ में आया था एक पल
दिन-रात उस ही पल से महकती हैं उंगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए उस दिन से ही सनम
बस दिन तुम्हारे आने की गिनती हैं उंगलियाँ
पत्थर तराशकर न बना ताज एक नया
फ़नकार की जहाँ में कटती हैं उंगलियाँ
~ मदन पाल
मेरी तरफ़ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ
दामन सनम का हाथ में आया था एक पल
दिन-रात उस ही पल से महकती हैं उंगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए उस दिन से ही सनम
बस दिन तुम्हारे आने की गिनती हैं उंगलियाँ
पत्थर तराशकर न बना ताज एक नया
फ़नकार की जहाँ में कटती हैं उंगलियाँ
~ मदन पाल
Apr 13, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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