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Sunday, April 5, 2015

जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं




जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ
मेरी तरफ़ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ

दामन सनम का हाथ में आया था एक पल
दिन-रात उस ही पल से महकती हैं उंगलियाँ

जिस दिन से दूर हो गए उस दिन से ही सनम
बस दिन तुम्हारे आने की गिनती हैं उंगलियाँ

पत्थर तराशकर न बना ताज एक नया
फ़नकार की जहाँ में कटती हैं उंगलियाँ

~ मदन पाल

   Apr 13, 2012| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh 

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