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Friday, April 3, 2015
हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू
हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू की राह में हैं
कोई ठिकाना बताओ के काफ़िला उतरे
क़रीब और भी आओ के शौक़-ए-दीद मिटे
शराब और पिलाओ के कुछ नशा उतरे
~ फैज़
Aug 5, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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