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Friday, April 3, 2015

अब कहाँ हूँ, कहाँ नहीं हूँ मै



अब कहाँ हूँ, कहाँ नहीं हूँ मै
जिस जगह हूँ वहाँ नहीं हूँ मै
कौन आवाज़ दे रहा है मुझे
कोई कह दे यहाँ नहीं हूँ मै

मै हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
दश्त मेरा न ये चमन मेरा

मै के हर-चंद एक ख़ानानशी
अंजुमन-अंजुमन सुख़न मेरा
दश्त मेरा ना ये चमन मेरा

बर्ग-ऍ-गुल पर चराग़-सा क्या है
छू गया था उसे दहन मेरा

मै के टूटा हुआ सितारा हूँ
क्या बिगाड़ेगी अंजुमन मेरा

हर घड़ी इक नया तक़ाज़ा है
दर्द-सर बन गया बदन मेरा

मै हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
दश्त मेरा न ये चमन मेरा

~ अमिक हंफी

 
  Aug 4, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh


उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन की पहली अल्बम “गुलदस्ता” की ग़ज़ल को हुसैन बंधुओं की आवाज़ ने नई शोहरत दी है।
http://www.youtube.com/watch?v=7S7-12LIPTs...

Another ghazal from Guldasta, from their debutant...

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