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Friday, April 3, 2015

कटेगा देखिए दिन जाने किस



कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ
कि आज धूप नहीं निकली आफ़ताब के साथ

तो फिर बताओ समंदर सदा को क्यूँ सुनते
हमारी प्यास का रिश्ता था जब सराब के साथ

बड़ी अजीब महक साथ ले के आई है
नसीम, रात बसर की किसी गुलाब के साथ

फ़िज़ा में दूर तक मरहबा के नारे हैं
गुज़रने वाले हैं कुछ लोग याँ से ख़्वाब के साथ

ज़मीन तेरी कशिश खींचती रही हमको
गए ज़रूर थे कुछ दूर माहताब के साथ

~ शहरयार

  Jul 21, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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