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Sunday, April 5, 2015

जी में जो आता है कर गुज़रो

जी में जो आता है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं

*शेमाँ=शर्मिंदा / शर्मिन्दा

~ अहमद फ़राज़

 

   Apr 15, 2012| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh 

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