Disable Copy Text

Thursday, April 2, 2015

कोई मौसम तुम सा आए



कोई मौसम तुम सा आए
धरती का ये जीवन दुष्कर
देख देख प्रियतम वो अम्बर
झर झर नीर बहाए
कोई मौसम तुम सा आए

उठे गंध वह भीना भीना
जैसे ओढ़े आंचल झीना
धरा प्रणय रस सिक्त अघाये
कोई मौसम तुम सा आए

आए चुपके से कुछ अक्सर
जैसे शरद उंगलियों में भर
नटखट सखी गुदगुदा जाए
कोई मौसम तुम सा आए

या जैसे रक्तिम पलाश वन
अमलतास के स्वर्णिम तरुवर
धरती का आंचल रंग जाए
कोई मौसम तुम सा आए

~ जया पाठक


  Oct 5, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment