
कोई मौसम तुम सा आए
धरती का ये जीवन दुष्कर
देख देख प्रियतम वो अम्बर
झर झर नीर बहाए
कोई मौसम तुम सा आए
उठे गंध वह भीना भीना
जैसे ओढ़े आंचल झीना
धरा प्रणय रस सिक्त अघाये
कोई मौसम तुम सा आए
आए चुपके से कुछ अक्सर
जैसे शरद उंगलियों में भर
नटखट सखी गुदगुदा जाए
कोई मौसम तुम सा आए
या जैसे रक्तिम पलाश वन
अमलतास के स्वर्णिम तरुवर
धरती का आंचल रंग जाए
कोई मौसम तुम सा आए
~ जया पाठक
Oct 5, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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