तुम्हारी चमकती आँखों में छांककर पूछती-- और तुम अपनी मदमस्त आँखों को घुमाकर कहते -- "हम हैं तैयार चलो "-- और मैं ख़ुशी के हिंडोले में सवार दू.....र... आकाश में अपने पंख पसार बादलो से परे, चाँद की पथरीली जमीं पर, उड़ते -उड़ते घायल हो चुकी हूँ , अपने लहू -लुहान जिस्म को समेटे , कातर निगाहों से तुम्हे धूर रही हूँ , और तुम दू....र खड़े मुसकुराते हुए, मानो,मेरा मजाक उड़ा रहे हो---
Re-Mix in poetry...?
ReplyDeleteचलो दिलदार चलो
चाँद के पार चलो !
तुम्हारी चमकती आँखों में छांककर पूछती--
और तुम अपनी मदमस्त आँखों को घुमाकर कहते --
"हम हैं तैयार चलो "--
और मैं ख़ुशी के हिंडोले में सवार
दू.....र... आकाश में अपने पंख पसार
बादलो से परे,
चाँद की पथरीली जमीं पर,
उड़ते -उड़ते घायल हो चुकी हूँ ,
अपने लहू -लुहान जिस्म को समेटे ,
कातर निगाहों से तुम्हे धूर रही हूँ ,
और तुम दू....र खड़े मुसकुराते हुए,
मानो,मेरा मजाक उड़ा रहे हो---
" चाँद को छूने वाले ओंधे मुंह जो गिरते है "