
उठो और उठ के निजामे जहा बदल डालो
यह आशमा,यह ज़मी, यहाँ मकाँ बदल डालो
*निजामे-जहा=विश्व व्यवस्था
यह बिजलिया है पुरानी, यह बिजलिया फूको
यह आशिया है कदीम, आशिया बदल डालो
*आशिया=घोसला, कदीम=पुराना
गुलो के रंग में आग, पंखुड़ी में शराब
कुछ इस तरह रविशे गुलसिता बदल डालो
*गुल=फूल, रविश=उद्यान के बीच का पथ
निजामे काफिला बदला तो क्या कमाल किया
मिजाजे राह्बरे कारवा बदल डालो
राह्बरे कारवा=करवा का पथ पदर्शक
हयात कोई कहानी नहीं हकीकत है
इस एक लफ्ज़ से कुल दस्ता बदल डालो
हयात=जीवन
~ साग़र निज़ामी
Oct 2, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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