Disable Copy Text

Thursday, April 2, 2015

दर्द बन के दिल में आना



दर्द बन के दिल में आना कोई तुम से सीख जाए
जान-ए-आशिक़ हो के जाना कोई तुम से सीख जाए

हमसुख़न पर रूठ जाना कोई तुम से सीख जाए
रूठ कर फिर मुस्कुराना कोई तुम से सीख जाए

कोई सीखे ख़ाकसारी की रविश तो हम सिखाएँ
ख़ाक में दिल को मिलाना कोई तुम से सीख जाए
रविश=तरीका

आते-जाते यूँ तो देखे हैं हज़ारों ख़ुश-ख़राम
दिल में आकर दिल से जाना कोई तुम से सीख जाए
ख़ुश-ख़राम=मस्त चाल

इक निगाह-ए-लुत्फ़ पर लाखों दुआएँ मिल गयीं
उम्र को अपनी बढ़ाना कोई तुम से सीख जाए

जान से मारा उसे तन्हा जहाँ पाया जिसे
बेकसी में काम आना कोई तुम से सीख जाए

क्या सिखाएगा ज़माने को फ़लत तर्ज़-ए-ज़फ़ा
अब तुम्हारा है ज़माना कोई तुम से सीख जाए

महव-ए-बेख़ुद हो नहीं कुछ दुनियादारी की ख़बर
दाग़ ऐसा दिल लगाना कोई तुम से सीख जाए
महव-ए-बेख़ुद=ध्यान मग्न


~ दाग़ देहलवी


  Oct 3, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment