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Friday, April 3, 2015

कैसे कैसे हादसे सहते रहे



कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे

उसके आ जाने की उम्मीदें लिए
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे

वक्त तो गुजरा मगर कुछ इस तरह
हम चरागों की तरह जलते रहे

कितने चेहरे थे हमारे आस-पास
तुम ही तुम दिल में मगर बसते रहे

~ वाजिदा तबस्सुम


  Aug 28, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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