
मै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगा
लेकिन मेरी आँखों में तुझे डर न मिलेगा
सर पर तो बिठाने को है तैयार जमाना
लेकिन तेरे रहने को यहाँ घर न मिलेगा
जाती है, चली जाये, ये मैखाने कि रौनक
कमज़र्फो के हाथो मै तो सागर न मिलेगा
दुनिया की तलब है, कनाअत ही न करना
कतरे ही से खुश हो, तो समन्दर न मिलेगा
कमज़र्फो = हलके लोग, कनाअत = संतोष
~ वसीम बरेलवी
Aug 29, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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