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Friday, April 3, 2015

मै यह नहीं कहता कि मेरा सर



मै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगा
लेकिन मेरी आँखों में तुझे डर न मिलेगा

सर पर तो बिठाने को है तैयार जमाना
लेकिन तेरे रहने को यहाँ घर न मिलेगा

जाती है, चली जाये, ये मैखाने कि रौनक
कमज़र्फो के हाथो मै तो सागर न मिलेगा

दुनिया की तलब है, कनाअत ही न करना
कतरे ही से खुश हो, तो समन्दर न मिलेगा

कमज़र्फो = हलके लोग, कनाअत = संतोष

~ वसीम बरेलवी


  Aug 29, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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