
अंगारों पर चलकर देखे
दीपशिखा-सा जलकर देखे
गिरना सहज सँभलना मुश्किल
कोई गिरे सँभलकर देखे
दुनिया क्या कैसी होती है
कुछ दिन भेस बदलकर देखे
जिसमें दम हो वह गाँधी-सा
सच्चाई में ढलकर देखे
कर्फ़्यू का मतलब क्या होता
बाहर जरा निकल कर देखे
~ इसाक अश्क
May 1, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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