है बात वक़्त वक़्त की चलने की शर्त है
साया कभी तो कद के बराबर भी आएगा
ऐसी तो कोई बात तसव्वुर में भी न थी
कोई ख़्याल आपसे हट कर भी आएगा
मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया
सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा
~ गणेश बिहारी 'तर्ज़'
Apr 19, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
साया कभी तो कद के बराबर भी आएगा
ऐसी तो कोई बात तसव्वुर में भी न थी
कोई ख़्याल आपसे हट कर भी आएगा
मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया
सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा
~ गणेश बिहारी 'तर्ज़'
Apr 19, 2012| e-kavya.blogspot.com
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