Disable Copy Text

Thursday, April 2, 2015

जाने किस बात पे उस ने मुझे छोड़



जाने किस बात पे उस ने मुझे छोड़ दिया है फ़राज़ !
मैं तो मुफलिस था किसी मन की दुआओं की तरह..

उस शक्श को तो बिछड़ने का सलीका नहीं फ़राज़!
जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गया

अब उसे रोज सोचो तो बदन टूटता है फ़राज़..
उम्र गुजरी है उसकी याद नशा करते करते

बे -जान तो मै अब भी नहीं फराज..
मगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गया..

जब्त ऐ गम कोई आसान काम नहीं
फ़राज़.
आग होते है वो आंसू , जो पिए जाते हैं.

क्यों उलझता रहता है तू लोगो से
फ़राज़.
ये जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे.


~ फ़राज़

  Oct 16, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment