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Friday, April 3, 2015

ख़ुश्बू है वो तो छू के बदन को



ख़ुश्बू है वो तो छू के बदन को गुज़र न जाये
जब तक मेरे वजूद के अन्दर उतर न जाये

ख़ुद फूल ने भी होंठ किये अपने नीम-वा
चोरी तमाम रंग की तितली के सर न जाये

इस ख़ौफ़ से वो साथ निभाने के हक़ में है
खोकर मुझे ये लड़की कहीं दुख से मर न जाये

पल्कों को उस की अपने दुपट्टे से पोँच दूँ
कल के सफ़र में आज की गर्द-ए-सफ़र न जाये

मैं किस के हाथ भेजूँ उसे आज की दुआ
क़ासिद हवा सितारा कोई उस के घर न जाये

~ परवीन शाकिर



  Sep 8, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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