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Wednesday, April 1, 2015

और काँटों को लहू



और काँटों को लहू किसने पिलाया होगा
हम-सा दीवाना चमन में कोई आया होगा

बेसबब कोई उलझता है भला कब किससे
तुमने गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा

जुज़ हमारे ऐ सुलगती हुई तन्हाई तुझे
ऐसे सीने से भला किसने लगाया होगा
जुज़=सिवा, अतिरिक्त

कोई आया है न ‘शहज़ाद’ कोई आएगा
वहम ने याद के पर्दों को हिलाया होगा

~ फ़रहत शहज़ाद


  Nov 26, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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