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Friday, April 3, 2015

छल किया है छल मिलेगा



छल किया है छल मिलेगा आपको
और क्या प्रतिफल मिलेगा आपको

अब कहाँ वो आपसी सद्भावना
हर कहीं दंगल मिलेगा आपको

मित्र, ये नदिया है भ्रष्टाचार की
कैसे इसका तल मिलेगा आपको

हर कहीं, हर सिम्त दौलत के लिए
आदमी पागल मिलेगा आपको

जिसको भी दुखड़ा सुनाएंगे वही
आँख से ओझल मिलेगा आपको

आप ही बस वक्त के मारे नहीं
हर कोई घायल मिलेगा आपको

दुख में पढ़िएगा 'अकेला' की ग़ज़ल
देखिएगा बल मिलेगा आपको

~ वीरेन्द्र खरे 'अकेला'


  Sep 14, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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