
आदत नहीं, करे जो शिकायत किसी से हम
करते जरुर वरना कभी आपही से हम
देखा है जब भी आईना महसूस यु हुआ
वाकिफ हुए है जैसे किसी अजनबी से हम
हम क्या है, क्या नहीं, अभी इसका पता नहीं
वैसे दिखाई देते है एक आदमी से हम
पीछे से खेचता कोई दामन है बार-बार
शायद कुछ आगे बढ़ गए खुद-आगही से हम
खुद-आगही = आत्मज्ञान
आगे अभी तो और नशेबो-फ़राज़ है
आसूदगी को ढूंढते क्यों है अभी से हम
नशेबो-फ़राज़=उतर-चढाव, आसूदगी=संतोष
~ जाज़िब आफ़ाकी
करते जरुर वरना कभी आपही से हम
देखा है जब भी आईना महसूस यु हुआ
वाकिफ हुए है जैसे किसी अजनबी से हम
हम क्या है, क्या नहीं, अभी इसका पता नहीं
वैसे दिखाई देते है एक आदमी से हम
पीछे से खेचता कोई दामन है बार-बार
शायद कुछ आगे बढ़ गए खुद-आगही से हम
खुद-आगही = आत्मज्ञान
आगे अभी तो और नशेबो-फ़राज़ है
आसूदगी को ढूंढते क्यों है अभी से हम
नशेबो-फ़राज़=उतर-चढाव, आसूदगी=संतोष
~ जाज़िब आफ़ाकी
Sep 10, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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