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Wednesday, April 1, 2015

उस नीलम की संध्या में



उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे !

वो घनी चांदनी शीतल
वो कथा कहानी से पल
वो नर्म दूब की शबनम
वो पुनर्जन्म सा मौसम

वो मलय समीरण झोंके
जीवन पतवारों जैसे !
उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे !

वो चांद का मद्‌धम तिरना
वो रात का रिमझिम गिरना
वो मौन का कविता करना
औ' बात का कुछ ना कहना

तारों के जगमग दीपक
नभ बंदनवारों जैसे !
उस नीलम की संध्या में
हम तुम दो तारों जैसे

~ पूर्णिमा वर्मन


  Dec 3, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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