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Wednesday, April 1, 2015

तुम कहने को तो कहते हो




तुम कहने को तो कहते हो
क्यों इतना शोर मचाती हूँ ?

जब भी तुम मुझे बुलाते हो
सब छोड़, दौड़ कर आती हूँ
दौड़ी, तो पायल छंनकेगी
पायल का शोर तो होगा ही

तुम मेरी कलाई पकड़ते हो
तो चूड़ी मेरी खनकती है
चूड़ी खनकी, मन बहकेगा
मन बहके, शोर तो होगा ही

जब बिंदिया माथे चमकेगी
और आँख में उनके दमकेगी
जज़्बे मचलेंगे, बेकाबू
जज़्बों का शोर तो होगा ही

झुमकों से मेरे तुम खेलोगे
वो गाल को मेरे चूमेगा
बेचैन से तुम हो जाओगे,
इक लहर उठेगी सीने में
उस लहर का शोर तो होगा ही

ज़ुल्फों को मेरी सुलझाते हूए
जब गजरा मेरा बिखराओगे
तब सांसें तुम्हारी महकेंगी
पर - सांसें मेरी उखड़ेंगी
उखड़ी साँसों का शोर तो...

तुम कहने को तो कहते हो
क्यों इतना शोर मचाती हूँ ?
~  'नामालूम'


  Dec 4, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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