
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं,
लेकिन इस तर्क - ए - मोहब्बत का भरोसा भी नहीं !
सौदा = पागलपन,तर्क - ए - मोहब्बत = मोहब्बत का टूटना,
यूं तो हंगामें उठाते नहीं दीवाना - ए - इश्क,
मगर ए दोस्त ऐसों का कुछ ठिकाना भी नहीं !
मुद्दतें गुज़रीं तेरी याद भी आई ना हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं !
ये भी सच है के मोहब्बत में नहीं मैं मजबूर,
ये भी सच है के तेरा हुस्न कुछ ऐसा भी नहीं !
दिल की गिनती ना यगनों में ना बेगानों में,
लेकिन इस जल्वागाह - ए - नाज़ से उठता भी नहीं !
यगना = जानकार, जल्वागाह = यहाँ कोई कार्यक्रम हो रहा हो,
बदगुमां हो के मिल ए दोस्त जो मिलना है तुझे,
ये झिझकते हुए मिलना कोई मिलना भी नहीं !
बदगुमां = बिना शक
शिकवा - ए - ज़ौर करे क्या कोई उस शोख से जो,
साफ कायल भी नहीं साफ मुकरता भी नहीं !
शिकवा - ए - जौर = जुल्म कि शिकायत
मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ए दोस्त,
आह मुझसे तो मेरी रंजिश - ए - बेजाँ भी नहीं !
बात ये है की सुकून - ए - दिल - ए - वहशी का मकाम,
कुञ्ज - ए - जिन्दां भी नहीं वुसात - ए - सेहरा भी नहीं !
मकाम = मंजील कुञ्ज - ए - जिन्दां = जेल का कोना, वुसात - ए - सेहरा = रेगिस्तान का विस्तार,
मुंह से हम अपने बुरा तो नहीं कहते, के 'फिराक',है
तेरा दोस्त मगर आदमी अच्छा भी नहीं !
~ फ़िराक़ गोरखपुरी
Dec 16, 2010| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment