हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-इ-आशिकी से पहले
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले
है ये मेरी बद-नसीबी तेरा क्या कुसूर इस में
तेरे ग़म ने मार डाला, मुझे ज़िन्दगी से पहले
मेरा प्यार जल रहा है, अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी, तेरी चांदनी से पहले
में कभी न मुस्कुराता, जो मुझे ये इल्म होता
के हज़ार ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले
ये अजीब इम्तिहान है की तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बे-दिली से पहले
~ फ़ैयाज़ हाशमी
Mar 30, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले
है ये मेरी बद-नसीबी तेरा क्या कुसूर इस में
तेरे ग़म ने मार डाला, मुझे ज़िन्दगी से पहले
मेरा प्यार जल रहा है, अरे चाँद आज छुप जा
कभी प्यार था हमें भी, तेरी चांदनी से पहले
में कभी न मुस्कुराता, जो मुझे ये इल्म होता
के हज़ार ग़म मिलेंगे मुझे इक खुशी से पहले
ये अजीब इम्तिहान है की तुम्हीं को भूलना है
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हें बे-दिली से पहले
~ फ़ैयाज़ हाशमी
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