Disable Copy Text

Sunday, April 5, 2015

चिराग हो के न हो दिल जला के




चिराग हो के न हो दिल जला के रखते हैं
हम आँधियों में भी तेवर बला के रखते हैं

मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में
हम अपनी आँख का पानी बचा के रखतें हैं

हमें पसंद नहीं जंग में भी चालाकी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं

कहीं ख़ूलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा
बड़े करीने से घर को सजा के रखते हैं

~ हस्तीमल ’हस्ती’
 
   Mar 29, 2012| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh 

No comments:

Post a Comment