
वो अपने चेहरे में सौ आफ़ताब रखते हैं
इसीलिये तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं
वो पास बैठें तो आती है दिलरुबा ख़ुश्बू
वो अपने होठों पे खिलते गुलाब रखते हैं
हर एक वर्क़ में तुम ही तुम हो जान-ए-महबूबी
हम अपने दिल की कुछ ऐसी किताब रखते हैं
जहान-ए-इश्क़ में सोहनी कहीं दिखाई दे
हम अपनी आँख में कितने चेनाब* रखते हैं
* चेनाब नदी (कुछ प्रमुख नदियाँ; गंगा, यमुना, सरस्वती, ब्रहमपुत्र , सतलज, चेनाब..)
~ हसरत जयपुरी
Mar 22, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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