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Friday, April 3, 2015

उस मोड़ से शुरू करें फिर



उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम तुम थे अजनबी

लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे
लेकिन कहाँ है उन में वो पहली सी दिलकशी

रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी

शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगो में ढल गया
अश्कों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही

~ सुदर्शन फ़ाकिर

 
  Aug 2, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh


Us Mod Se shuru karen phir yeh Zindagi - Jagjit Singh Chitra Singh
https://www.youtube.com/watch?v=FqnMzo-mbsk
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My favorite Ghazal of these legends Jagjit Singh and...

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