
डॉ.
सलमान अख्तर मशहूर शायर, जां निसार अख्तर के बेटे है| १९७६ में पहला
संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसका आमुख आलेख जां निसार अख्तर साहब का लिखा हुआ
है| डॉ. साहब की कई दर्जन पुस्तके प्रकाशित हो चुकी जो कि कविताओ,
मनोविज्ञान आदि पर लिखी गई है|
कभी ख्वाबो में मिला वो तो ख्यालो में कभी
राह चलते ना मिला दिन के उजाले में कभी
जिंदगी हमसे तो इस दर्जा तगाफुल ना बरत
हम भी शामिल थे तेरे चाहनेवालो में कभी
तगाफुल=उपेक्षा
जिनका हम आज तलक पा ना सके कोई जवाब
खुद को ढूंढा किये उन तल्ख़ सवालो में कभी
तल्ख़=कटु/कड़वे
~ सलमान अख़्तर
Oct 24, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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