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Tuesday, April 7, 2015

दोस्त, शायरों की नज़र से

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
~ बशीर बद्र

हमें भी दोस्तों से काम आ पड़ा यानी
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक्त आया

~ हरि चंद अख्तर

दोस्तों से आज मुलाक़ात की शाम है
ये सज़ा काट के फिर अपने घर को जाऊंगा
~ मज़हर इमाम

गिरेगी कहां ये बर्क़ दोस्तो
मेरा तो कहीं आशियां भी नहीं
*बर्क़ : बिजली

~ मुमताज़ मिर्ज़ा

मैं मुद्दतों जिया हूं किसी दोस्त के बगैर
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो, खैर
~ फिराक़ गोरखपुरी

वो ज़माना भी तुम्हें याद है तुम कहते थे
दोस्त दुनिया में नहीं दाग से बेहतर अपना
~ दाग देहलवी

मेरी ख़ुशी से मेरे दोस्तों को ग़म है शमीम
मुझे भी इसका बहुत ग़म है क्या किया जाए
~ शमीम जयपुरी

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
~ राहत इंदौरी

ऐ दोस्त तुम से तर्क - ए - ताल्लुक के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी - कभी
~ साहिर लुधियानवी

यूं लगे दोस्त तेरा मुझसे खफा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
~ क़तील शिफई

ढूंढने पर भी न मिलता था मुझे अपना वजूद
मैं तलाश - ए - दोस्त में यूं बेनिशां था दोस्तो
~ जगन्नाथ आज़ाद

दोस्त बन - बनके मिले मुझको मिटाने वाले
मैंने देखे हैं कई रंग बदलनेवाले
~ सईद राही

ऐ दोस्त मिट गया हूं फना हो गया हूं मैं
इस दौर - ए - दोस्ती की दवा हो गया हूं मैं
- हफीज़ जलंधरी

हर तरफ जीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त
बस तेरी याद के साये हैं पनाहों की तरह
~ सुदर्शन फाकिर

जीस्त : जीवन , पनाह : शरण
ख़ुदा जब दोस्त है ऐ दाग क्या दुश्मन से अंदेशा
हमारा कुछ किसी की दुश्मनी से हो नहीं सकता
*अंदेशा=आशंका

~ दाग देहलवी

अपनों ने नज़र फेरी तो दिल ने तो दिया साथ
दुनिया में कोई दोस्त मेरे काम तो आया
~ शक़ील बदायूंनी

वो मेरा दोस्त है सारे जहां को है मालूम
दगा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे
~ क़तील शिफ़ाई

  Jan 6, 2011| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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