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Saturday, April 4, 2015

हँस के बोला करो, बुलाया करो








 
हँस के बोला करो, बुलाया करो
आप का घर है, आया जाया करो

मुस्कराहट है हुस्न का जेवर
रूप बढ़ता है, मुस्कुराया करो

हद से बढ़ कर हसीन लगते हो
झूठी कसमे जरुर खाया करो

हुक्म करना भी एक सख़ावत है
हमको खिदमत कोई बताया करो

बात करना भी बादशाहत है
बात करना न भूल जाया करो

ताकि दुनिया की दिलकशी न घटे
नित-नए पैरहन में आया करो

कितने सदा मिजाज़ हो तुम अदम
उस गली में बहुत न जाया करो

सख़ावत=दानशीलता, दिलकशी=खूबसूरती, पैरहन=लिबास

~ अब्दुल हमीद अदम


  May 25, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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