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Monday, April 6, 2015

लता मंगेश्कर



लता मंगेशकर (हैदराबाद सिंध जेल में लिखी गई)

तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन रैन हमारे
तेरी अगर आवाज़ न होती
बुझ जाती जीवन की ज्योति

तेरे सच्चे सुर हैं ऐसे
जैसे सूरज चांद सितारे
तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन रैन हमारे

क्या क्या तूने गीत हैं गाए
सुर जब लागे मन झुक जाए
तुझको सुनकर जी उठते हैं
हम जैसे दुख दर्द के मारे

तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन रैन हमारे
मीरा तुझमें आन बसी है
अंग वही है रंग वही है

जग में तेरे दास है इतने
जितने हैं आकाश में तारे
तेरे मधुर गीतां के सहारे
कटते हैं दिन रैन हमारे

~  हबीब जालिब

  Jan 11, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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