आँख का फ़ैसला दिल की तज्वीज़ है
इश्क़ गफ़लत भरी एक हंसी चीज़ है
आँख खुलते ही हाथों से जाती रही
ख़्वाब में खो गई कौन सी चीज़ है
मैं कहाँ आसमाँ की तरफ देखता
मेरे सजदों को जब तेरी दहलीज़ है
दिल दुखाकर रुलाते हैं आते नहीं
क्या ये अपना बनाने की तज्वीज़ है
हो न पाएगी जन्नत ज़मीं से हंसी
'विप्लवी' ज़िन्दगी ही बड़ी चीज़ है
~ बी. आर. विप्लवी
Jan 10, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
इश्क़ गफ़लत भरी एक हंसी चीज़ है
आँख खुलते ही हाथों से जाती रही
ख़्वाब में खो गई कौन सी चीज़ है
मैं कहाँ आसमाँ की तरफ देखता
मेरे सजदों को जब तेरी दहलीज़ है
दिल दुखाकर रुलाते हैं आते नहीं
क्या ये अपना बनाने की तज्वीज़ है
हो न पाएगी जन्नत ज़मीं से हंसी
'विप्लवी' ज़िन्दगी ही बड़ी चीज़ है
~ बी. आर. विप्लवी
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