Disable Copy Text

Monday, April 6, 2015

आँख का फ़ैसला दिल की

आँख का फ़ैसला दिल की तज्वीज़ है
इश्क़ गफ़लत भरी एक हंसी चीज़ है

आँख खुलते ही हाथों से जाती रही
ख़्वाब में खो गई कौन सी चीज़ है

मैं कहाँ आसमाँ की तरफ देखता
मेरे सजदों को जब तेरी दहलीज़ है

दिल दुखाकर रुलाते हैं आते नहीं
क्या ये अपना बनाने की तज्वीज़ है

हो न पाएगी जन्नत ज़मीं से हंसी
'विप्लवी' ज़िन्दगी ही बड़ी चीज़ है 

~ बी. आर. विप्लवी


  Jan 10, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment