
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शह्द जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं तोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
~ गुलज़ार
वक़्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शह्द जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं तोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
~ गुलज़ार
Apr 6, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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