चाँद की रात, दर पे सजी रंगोली है।
न सता, आ भी जा, कि आज होली है।।
हमने माना, बेइत्तिफ़ाक़ी दर्मियाँ हमदम।
बीच का रस्ता बना, कि आज होली है।।
तल्ख़ियों को भूल जा, तू ताख़ पे रख कर।
आ गले लग जा, कि आज होली है।।
दुश्मनी को ख़ाक़ में तू डाल कर।
पास मेरे आ, कि आज होली है।।
मौसम हुआ बसंती, खलिहान भी भरे भरे।
ज़रा-सी भाँग चढ़ा, कि आज होली है।।
~ नरेंद्र टंडन
Mar 9, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
अबकी होली पर बस
ReplyDeleteइतना करो ।
जब रंग लगाऊँ
खिलखिला कर हँसो ।।
- Kumar Vishal