Disable Copy Text

Friday, April 3, 2015

आज जाने की ज़िद न करो


Image may contain: 1 person, jewelry and closeup

आज जाने की ज़िद  करो 

यूँ ही पहलू में बैठे रहो 
आज जाने की ज़िद  करो 
हाए मर जाएँगेहम तो लुट जाएँगे 
ऐसी बातें किया  करो 
आज जाने की ज़िद  करो 

तुम ही सोचो ज़रा क्यूँ  रोकें तुम्हें 
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम 
तुम को अपनी क़सम जान--जाँ 
बात इतनी मिरी मान लो 
आज जाने की ज़िद  करो 

वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर 
चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं 
इन को खो कर मिरी जान--जाँ 
उम्र-भर ना तरसते रहो 
आज जाने की ज़िद  करो 

कितना मासूम रंगीन है ये समाँ 
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है 
कल की किस को ख़बर जान--जाँ 
रोक लो आज की रात को 
आज जाने की ज़िद  करो 

यूँही पहलू में बैठे रहो 
आज जाने की ज़िद  करो 

*मेराज=सीढ़ी

~ फ़ैयाज हाशमी


  Jun 8, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh



http://www.youtube.com/watch?v=wqbbILfdw94



A beautiful ghazal by Farida Khanum!

1 comment:

  1. शायर है फ़ैयाज हाशमी
    1973 में उनकी लिखी यह नज्म असल में पाकिस्तान की फिल्म ‘बादल और बिजली’ के लिए हबीब वली मोहम्मद ने गाई थी और निसार बज्मी ने धुन रची थी। लेकिन पिछले 37 साल में इसे आशा भोसले समेत बहुत सारे गायकों ने गाया, लेकिन फ़रीदा ख़ानम की गायकी इस पर कुछ ऐसी जमी कि आज यह नज्म उन्ही के नाम से पहचानी जाती है।
    http://www.youtube.com/watch?v=gh_UZuNUZR0
    Aaj jane ki zid na karo - Farida Khanum
    Aaj jaane ki zid na karo Aaj jaane ki zid na karo Yunhi pehlu mein bethey raho Yunhi pehlu mein bethey...

    - નિમિશ પંડ્યા

    ReplyDelete