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Monday, April 6, 2015

कभी चाँद तारों के रूप में,

कभी चाँद तारों के रूप में, कभी जुगनुओं की कतार में
वो तमाम भेष बदल बदल के तमाम रात मिला मुझे

सरे-आम तुझ पे बरस पढ़ें ये महकते फूलों की बारिशें
मैं मुहब्बतों का दरख्त हूँ तू बढ़ा के हाथ हिला मुझे

~ अशोक मिजाज़


  Jan 19, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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