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Wednesday, April 1, 2015

दूर जाकर न कोई बिसारा करे



दूर जाकर न कोई बिसारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे
यूँ बिछड़ कर न रतियाँ गुज़ारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

मन मिला तो जवानी रसम तोड़ दे प्यार निभता न हो तो डगर छोड़ दे
दर्द देकर न कोई बिसारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

चाँद-सा हुस्न है तो गगन में बसे फूल-सा रंग है तो चमन में हँसे
चैन चोरी न कोई हमारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

हमें तकें न किसी की नयन खिड़कियाँ तीर-तेवर सहें न सुनें झिड़कियाँ
कनखियों से न कोई निहारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

लाख मुखड़े मिले और मेला लगा रूप जिसका जँचा वो अकेला लगा
रूप ऐसे न कोई सँवारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

रूप चाहे पहन नौलखा हार ले अंग भर में सजा रेशमी तार ले
फूल से लट न कोई सँवारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

एक दिन क्या मिले मन उड़ा ले गए मुफ़्त में उम्र भर की जलन दे गए
बात हमसे न कोई दुबारा करे मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे ।

~ गोपाल सिंह नेपाली


  Dec 5, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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