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Wednesday, April 1, 2015

परवाज में कुछ है



परवाज में कुछ है, कोई पर तोल रहे है,
उड़ जायेंगे पंछी जो यहाँ बोल रहे है |

करते है तुझे याद, जो ले-ले के तेरा नाम,
हमराज़ ही सब राज़ तेरा खोल रहे है |

साथी तो पहुच भी गए मंजिल पे कभी के,
हम है कि अभी शाख पे पर तोल रहे है |

खिल-खिल के कहा गुंचो ने इक रोज़ चमन में,
हम उम्दा-ए-हस्ती कि गिरह खोल रहे है |

ये अहद था फिर उनसे न बोलेंगे कभी हम,
मजबूर है इस दिल से मगर बोल रहे है |

~ बिस्मिल भरतपुरी


  Dec 6, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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