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Friday, April 3, 2015

कोई उम्मीद नहीं कोई चाह नहीं



कोई उम्मीद नहीं कोई चाह नहीं
कोई मंज़िल नहीं कोई राह नहीं


कोई मिला नहीं न जुदा हुआ
कोई खुशी नहीं कोई आह नहीं


तुझे देने को कुछ है नहीं
मैं फ़कीर नहीं मैं शाह नहीं


उड़ान है ऊंची डर लगता नहीं
चोट की भी अब परवाह नहीं


बेखौफ़ हूँ मैं बेफ़िक्र नहीं
खुद से भी अब तेरा ज़िक्र नहीं


बन्धन में क्या मैं आज़ाद क्या
मैं कैद नहीं मैं रिहा नहीं

~ रोहित बावा अश्क

 
  Jul 2, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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