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Monday, April 6, 2015

काम अब कोई ना आएगा


काम अब कोई ना आएगा बस इक दिल के सिवा
रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-कातिल के सिवा

बाईस-ए-रश्क है तन्हारवी-ए-रहरौ-ए-शौक़
हमसफ़र कोई नहीं दूरी-ए-मंजिल के सिवा


हम ने दुनिया कि हर इक शै से उठाया दिल को
लेकिन इक शोख के हंगामा-ए-महफ़िल के सिवा

तेग मुंसिफ हो जहाँ, दार-ओ-रसन हों शाहिद
बेगुनाह कौन है उस शहर में कातिल के सिवा

जाने किस रंग से आई है गुलशन में बहार
कोई नगमा ही नहीं शोर -ए-सिलासिल के सिवा

~ अली सरदार जाफ़री

  Dec 15, 2010| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 

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