रग-ओ-पै में जब उतरे ज़हर-ए-ग़म तब देखिये क्या हो
अभी तो तल्ख़ि-ए-काम-ओ-दहन की की आज़माइश है
*रग-ओ-पै: नसें और मांसपेशियां (यानी पूरी देह),
तल्ख़ि-ए-काम-ओ-दहन: होंठ और तालु पर महसूस होने वाला कसैलापन
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
Dec 28, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
अभी तो तल्ख़ि-ए-काम-ओ-दहन की की आज़माइश है
*रग-ओ-पै: नसें और मांसपेशियां (यानी पूरी देह),
तल्ख़ि-ए-काम-ओ-दहन: होंठ और तालु पर महसूस होने वाला कसैलापन
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
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