
हर जगह जीवन विकल है!
तृषित मरुथल की कहानी,
हो चुकी जग में पुरानी,
किंतु वारिधि के हृदय की प्यास उतनी ही अटल है!
हर जगह जीवन विकल है!
रो रहा विरही अकेला,
देख तन का मिलन मेला,
पर जगत में दो हृदय के मिलन की आशा विफल है!
हर जगह जीवन विकल है!
अनुभवी इसको बताएँ,
व्यर्थ मत मुझसे छिपाएँ;
प्रेयसी के अधर-मधु में भी मिला कितना गरल है!
हर जगह जीवन विकल है!
~ हरिवंशराय बच्चन
Feb 17, 2013| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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