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Tuesday, March 31, 2015

आपकी याद आती रही रात भर,



आपकी याद आती रही रात भर,
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर

रात भर दर्द की शम्मा जलती रही,
गम की लौ थरथराती रही रात भर

बांसुरी की सुरीली सुहानी सदा,
याद बन-बन के आती रही रात भर

याद के चाँद दिल में उतरते रहे,
चाँदनी जगमगाती रही रात भर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा,
कोई आवाज़ आती रही रात भर

~
मख़्दूम मोहिउद्दीन

  Jan 3, 2013| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 



..and the audio,
https://www.youtube.com/watch?v=oy--rFE7fag

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