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Tuesday, March 31, 2015

पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा



पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है

चारागरी बीमारि-ए-दिल की रस्मे-ए-शहर-ए-हुस्न नहीं
वरना दिलबर-ए-नादां भी इस दर्द का चारा जाने है
चारागरी: चिकित्सा,
रस्मे-ए-शहर-ए-हुस्न: सौन्दर्य के नगर की परम्परा

मेहर-ओ-वफ़ा-ओ-लुत्फ़-ओ-इनायत, एक से वाक़िफ़ इनमें नहीं
और तो सब कुछ तंज़-ओ-कनाया रम्ज़-ओ-इशारा जाने है
मेहर-ओ-वफ़ा-ओ-लुत्फ़-ओ-इनायत: प्यार, मोहब्बत, मौज मज़े...,
तंज़-ओ-कनाया: व्यंग्य और पहेली,
रम्ज़-ओ-इशारा: रहस्य और संकेत

~ मीर तक़ी 'मीर'


  Dec 30, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 


E-Kavya उस्ताद मेहंदी हसन को क्या कहेंगे आप ?...
http://www.youtube.com/watch?v=A373M8P6S6o
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Khan Sahib Mehdi Hassan singing the amazing...

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