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Tuesday, March 31, 2015

हर आन सितम ढाये हैं क्या



हर आन सितम ढाये हैं क्या जानिये क्या हो
दिल ग़म से भी घबराए हैं क्या जानिये क्या हो
*आन=क्षण

क्या गैर को ढूँढे के तेरे कूचे में हर एक
अपना सा नज़र आए है क्या जानिये क्या हो
*कूचा=गली

आँखों को नहीं रास किसी याद का आँसू
थम थम के ढलक जाये है क्या जानिये क्या हो

दुनिया से निराले हैं तेरी बज़्म के दस्तूर
जो आए सो पछताए है क्या जानिये क्या हो
*बज़्म=महफिल, दस्तूर=रीति-रिवाज

~ ' नामालूम'


   Jan 18, 2013| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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